रिकॉर्ड समय में मिलेगी स्कूलों को मान्यता, तीस दिनों के अंदर मान्यता की कार्रवाई पूरी करनी होगी
बेसिक शिक्षा परिषद से नए स्कूलों की मान्यता की अब रिकार्ड समय में दी जाएगी। 30 दिनों के अंदर मान्यता की कार्रवाई पूरी करनी होगी। आवेदन से लेकर मान्यता देने की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी और इसकी मॉनिटरिंग मुख्यमंत्री के दर्पण डैशबोर्ड से भी की जाएगी।
इसकी समय सारिणी तय कर दी गई है और मान्यता की प्रक्रिया निश्चित दिनों में पूरी करनी होगी । इसे जनहित गारण्टी अधिनियम के तहत समय सीमा के अंदर निस्तारित करना होगा । प्रेरणा पोर्टल को ई-डिस्ट्रिक्ट-निवेश मित्र पोर्टल के साथ भी इण्टीग्रेट किया जाएगा ताकि इस पर नजर रखी जा सके। ऑफलाइन मान्यता नहीं दी जाएगी। बेसिक शिक्षा परिषद से कक्षा एक से आठ तक के स्कूलों की मान्यता दी जाती है ।आवेदन की शुरुआत हो चुकी है। अंतिम तारीख 31 दिसम्बर है। आवेदन की तारीख से तीन दिन के अंदर बीएसए खण्ड शिक्षा अधिकारियों को निरीक्षण के लिए आवंटित करेंगे । खण्ड शिक्षा अधिकारी निरीक्षण व इसकी रिपोर्ट आवंटन की तारीख से 10 कार्यदिवस में वापस बीएसए को सौंपेंगे। हर शुक्रवार को मान्यता समिति की बैठक होगी । यदि मान्यता पर कोई आपत्ति है तो उसे प्रबंधतंत्र को समिति की बैठक के तीन दिनों के अंदरबताना होगा। प्रबंधतंत्र को अगले सात दिन आपत्ति के निराकरण के लिए दिए जाएंगे। आपत्ति का उत्तर प्राप्त होने पर पांच दिन में मान्यता पर अंतिम निर्णय लेना होगा और इसके दो दिन में अंदर प्रबंध तंत्र को सूचना देनी होगी ।
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प्राथमिक शिक्षक भर्ती के लिए टेट सीटेट पास छात्रों ने ट्विटर पर खोला मोर्चा:- राकेश पाण्डेय
लखनऊ:-
उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षक भर्ती के विज्ञापन को जारी करवाने के लिए छात्र परेशान हैं। छात्र लगातार ट्विटर पर अपने मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर ट्रेंड करवा रहे हैं।बेसिक शिक्षा विभाग में पूर्व की 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती में सरकार के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दाखिल करके यह कहा गया था कि 69,000 शिक्षक भर्ती के बाद भी विभाग के पास 51,112 पद खाली है जिस पर भर्ती जल्द से जल्द निकाली जाएगी और शिक्षामित्र को एक और अवसर दिया जाएगा। बेरोजगार मंच के संस्थापक राकेश पाण्डेय उर्फ बंटी पाण्डेय ने बताया कि प्रदेश के अंदर लाखों प्रशिक्षु बीटीसी, डीएलएड, बीएड किये हुए है जो टीईटी,सीटीईटी पास करके भी बेरोजगार बैठे हुए है।
राज्य में टेट कराने की कोई आवश्यकता ही नहीं है वैसे ही लगभग 10 लाख लोग टेट,सीटेट पास है। पिछले 4 वर्षों से विभाग में प्राथमिक शिक्षक भर्ती के पदों पर कोई भी नई भर्ती नहीं आई है। राकेश पाण्डेय जी ने मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखते हुए कहा कि पिछली 68,500 शिक्षक भर्ती में लगभग 22,000 सीटें रिक्त रह गयी थी एवम जो शिक्षक हर वर्ष रिटायर होते हैं उन सभी पदों को जोड़कर नई प्राथमिक शिक्षक के रिक्त 51,112 पदो के साथ और शेष रिक्त पदों को भी जोड़कर यथाशीघ्र विज्ञापन एवम् भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ किया जाना अत्यंत आवश्यक, न्यायसंगत एवम् प्रदेश के लाखों लाख बेरोजगार प्रशिक्षुओं के हित में है।अतः मुख्यमंत्री योगिआदित्यनाथ जी से निवेदन है कि उपरोक्त प्रकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए जल्द से जल्द 97 हजार पदों पर प्राथमिक शिक्षक भर्ती का विज्ञापन जारी करने का कष्ट करें। आंकड़ो की माने तो बेसिक शिक्षा विभाग में अब भी डेढ़ लाख से ज्यादा पद खाली हैं। बंटी पाण्डेय जी ने बताया कि प्राथमिक शिक्षक भर्ती की मांग को लेकर 20 मई सुबह 11 बजे से देश व्यापी ट्विटर अभियान रखा गया है। उन्होंने सभी शिक्षित बेरोजगार छात्रों से इस अभियान में जुड़ने का भी अनुरोध किया है।
निजी स्कूल आज से ही शुरू करेंगे सभी कक्षाओं की ऑनलाइन पढ़ाई, शासन ने 20 मई से बेसिक से ऊपर की कक्षाओं में ऑनलाइन पढ़ाई की दी है अनुमति
लखनऊ। शासन ने बेसिक शिक्षा को छोड़कर 20 मई से स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई की अनुमति दी है, लेकिन निजी स्कूल संगठन 17 मई से ही ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करने पर अड़े हैं। यही नहीं वह सभी कक्षाओं की ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि सभी कक्षाओं हर की ऑनलाइन पढ़ाई
की अनुमति मिले तभी वे 20 के बाद कक्षाएं शुरू करेंगे। निजी स्कूलों के संगठन अन एडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन ने शासन के आदेश का विरोध करते हुए 17 मई से ही सभी कक्षाओं के लिए ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करने का निर्णय लिया है। संगठन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि शासन ने साफ तौर पर नहीं लिखा है कि किस कक्षा से पढ़ाई शुरू करनी है। आदेश में बेसिक शिक्षा को छोड़ कर बाकी कक्षाओं की ऑनलाइन पढ़ाई की अनुमति दी हैं। ऐसे में यह माना जाए कि स्कूल कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई करा सकते हैं। स्कूल खोलना नहीं है और घर से ही शिक्षकों द्वारा ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करने की मांग की जा रही है, ऐसे में शासन द्वारा आठवीं तक के छात्रों को अनुमति न देना समझ से परे है जब कक्षा 9 से 12 तक के शिक्षक घर बैठे पढ़ा सकते हैं तो कक्षा 8 तक के शिक्षक क्यों नहीं पढ़ा सकते। इसका जवाब शासन के पास नहीं है। उन्होंने बताया कि निजी स्कूल शासन के इस आदेश का विरोध करते हैं और 17 मई से ही सभी कक्षाओं की ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करने जा रहे हैं। हालांकि, जिन स्कूलों ने अभी व्यवस्था नहीं की है वे बाद में शुरू कर सकते हैं। अनिल अग्रवाल ने बताया कि छात्र और अभिभावक भी सवाल कर रहे हैं कि पढ़ाई कब शुरू होगी। इसे देखते हुए सभी कक्षाओं की ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करने जा रहे हैं।
अभिभावक संघ ने किया निजी स्कूलों के निर्णय का विरोध
इधर, अभिभावक संघ ने निजी स्कूलों के निर्णय का विरोध किया है। लखनऊ अभिभावक विचार परिषद के अध्यक्ष राकेश कुमार सिंह ने बताया कि शासन ने 20 मई से कक्षा 9 से 12 तक की ऑनलाइन पढ़ाई का आदेश दिया है, लेकिन निजी स्कूल संगठन 17 मई से सभी कक्षाओं की ऑनलाइन पढ़ाई पर अड़ा है। हम इसका विरोध करते हैं।
69000 शिक्षक भर्ती में अधिक अंक वाले अभ्यर्थियों ने रिक्त पदों पर मांगा चयन
प्रयागराज। 69 हजार शिक्षक भर्ती में 105 से अधिक अंक लाकर भी तमाम अभ्यर्थियों का चयन नहीं हुआ, जबकि इससे पूर्व हुई 68500 शिक्षक भर्ती में 67 अंक पाकर भी अभ्यर्थियों का चयन हो गया। अभ्यर्थी विजय श्री पांडेय, धर्मेंद्र
मिश्र, आरती शुक्ला, नितेश सिंह गौर, हिमांशु दुबे, सीमा चौधरी का कहना है कि 68500 शिक्षक भत्ती में 22 हजार पद रिक्त रह गए। इन पदों को 69 हजार शिक्षक भर्ती में जोडक़र पिछली भर्ती के मुकाबले इस बार अधिक अंक पाने वालों को चयनित घोषित किया जाए।
बेसिक शिक्षकों ने की मांग टीकाकरण में मिले प्राथमिकता, शासन अगर कोविड से जुड़े कार्यो में इयूटी लगाए तो शिक्षकों को उपार्नित अवकाश भी दे
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष देबेंद्र कुमार श्रीवास्तव एवं जिलामंत्री शिव बहादुर सिंह ने जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर मांग की है कि अगर 20 मई के बाद भी बेसिक शिक्षकों की कोबिड से जुड़े कार्यों में ड्यूटी लगाई जाती है तो उन्हें उपार्जित अवकाश दिया जाए, क्योंकि 20 मई के बाद विद्यालय बंद हो जाते हैं। साथ ही बेसिक शिक्षकों एवं उनके परिवारवालों का टीकाकरण प्राथमिकता के आधार पर हो और इसके लिए अलग सेंटर
खोले जाएं। महामारी के दौरान जनपद में 46 बेसिक शिक्षा परिवार के सदस्यों की मौत हुई है, जिनमें 38 शिक्षक, सात शिक्षामिश्र और एक अनुदेशक शामिल हैं। सभी को एक करोड़ रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाए और पीड़ित परिवार के प्रत्येक सदस्थ को नौकरी दी जाए। कोविड के कमांड सेंटर एवं सर्वे में शिक्षकों की ड्यूटी रोस्टर में लगाई जाए और इस कार्य में माध्यमिक शिक्षा, मदरसा, संस्कृत पाठशाला एवं सहायक प्राप्त विद्यालयों के शिक्षकों को भी लगाया जाए। उधर, प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने मुख्यमंत्री को ट्वीट कर कहा है कि एक पखवाडे में कोरोना से मृत बेसिक शिक्षक/कर्मचारियों की संख्या 706 से बढक़रर 1600 तक पहुंच गई। इतनी जनहानि के बाद भी प्रशासनिक अधिकारियों को बेसिक शिक्षकों के साथ व्यवहार नहीं बदला।
'शिक्षकों को प्रताड़ित कर रही सरकार', पंचायत चुनाव की ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमण से मरने वाले शिक्षकों व कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 1600 के पार
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने दावा किया है कि प्रदेश में पंचायत चुनाव की ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमण से मरने वाले शिक्षकों व कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 1600 के पार हो गई है। संघ ने आरोप लगाया है कि सरकार ने
शिक्षकों को बर्क फ्रॉम होम की सुविधा दी है। लेकिन जिलों में अधिकारी शिक्षकों को कोरोना कंट्रोल रूम सहित अन्य कार्यों में ड्यूटी लगाकर शिक्षकों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। संघ के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि सरकार लगातार शिक्षकों को प्रताड़ित कर रही है। मुख्य सचिव राजेंद्र तिवारी से गत दिनों हुई बार्ता में आश्वासन मिला था कि चुनाव ड्यूटी से अनुपस्थित शिक्षकों पर कार्रवाई नहीं होगी। इसके बाद भी शिक्षकों के निलंबन और वेतन काटने की कार्रवाई की जा रही है। शर्मा ने सरकार से कोरोना संक्रमण के कारण असमय मौत का शिकार हुए शिक्षकों के आश्रितों को एक करोड़ रुपये का भुगतान और अश्रितों को जल्द देने की मांग की है।
बीएसए दफ्तरों में वसूली का आरोप, शासन से शिकायत
लखनऊ। उप्र. दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने आरोप लगाया है बीएसए कार्यालयों में तैनात लेखाधिकारी और बाबू धन उगाही के लिए नवनियुक्त शिक्षकों का बेतन भुगतान नहीं कर रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि बेसिक शिक्षा अधिकारियों की ओर से नवनियुक्त शिक्षकों के वेतन भुगतान की पत्रावली भेजने के बाद भी लेखाधिकारी और बाबू वेतन भुगतान नहीं कर रहे हैं। उन्होंने शासन से पांच दिनों में नवनियुक्त शिक्षकों को वेतन भुगतान कराने की मांग को है। उन्होंने शिक्षकों का आर्थिक और मानसिक शोषण करने वाले लेखाधिकारियों और बाबुओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
बोर्ड परीक्षाओं पर 20 मई के बाद फैसला, कई विकल्पों पर विचार
लखनऊ। यूपी बोर्ड परीक्षाओं को लेकर माध्यमिक शिक्षा विभाग कई विकल्पों पर काम कर रहा है। विभाग के अधिकारी जल्द ही अपना प्रस्ताव सरकार के समक्ष रखेंगे। मई के अंतिम सप्ताह तक सरकार इस पर निर्णय ले
सकती है। उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा का कहना है कि 20 मई के बाद बैठक कर सीएम के निर्देशानुसार निर्णय लिया जाएगा। बोर्ड के अधिकारी ने बताया कि एक विकल्प यह है कि जुलाई के पहले सप्ताह से हाई स्कूल और इंटरमीडिएट दोनों को परीक्षा कराई जाए।एक विकल्प हाई स्कूल की पक रद कर इंटरमीडिएट की परीक्षा कराने का है। तीसरा विकल्प स्कूलों की ओर से भेजे गए आंतरिक मूल्यांकन के अंकों के आधार पर बोर्ड परीक्षा के अंक देकर प्रमोट करने का है। चौथा विकल्प है कि सीबीएसई की तर्ज पर पांच-पांच शिक्षकों की कमेटी गठित कर मूल्यांकन कराकर परिणाम जारी किया जाए। इंटर की परीक्षा को लेकर विभाग सीबीएसई के निर्णय का इंतजार कर रहा है।
प्रतीक्षा सूची से भरे जाएं समीक्षा अधिकारी /सहायक समीक्षा अधिकारी के रिक्त पद
समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ)-2016 के दर्जनों पद योग्य अभ्यर्थी न मिलने के कारण खाली रह गए। यह परीक्षा पांच साल में पूरी हुई। कई अभ्यर्थी अब ओवरएज हो चुके हैं। अगली परीक्षा में शामिल होने का उनके पास मौका नहीं है, सो मांग कर रहे हैं कि प्रतीक्षा सूची जारी कर आरओ/एआरओ के रिक्त पदों को भरा जाए। प्रतियोगी छत्रों का दावा भी है कि खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) परीक्षा-2019 के तहत आयोग ने भले ही बीईओ के सभी 309 पदों का परिणाम जारी किया हो, लेकिन कई चयनित अभ्यर्थियों के ज्वाइन न करने से बड़ी संख्या में पद खाली रह गए। ऐसे में बीईओ के रिक्त पद भी प्रतीक्षा सूची से भरे जाएं। प्रतियोगियों का कहना है कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के नए अध्यक्ष के ज्वाइन करने पर उनसे मिलकर यह मांग रखी जाएगी।
आयोग ने आरओ/एआरओ-2016 का अंतिम चयन परिणाम इस साल पांच अप्रैल को जारी किया था, जबकि इसका विज्ञापन पांच साल पूर्व जारी किया गया था। उस वक्त 261 पदों के लिए आवेदन मांगे गए थे, जिनमें 303 पद आरओ/एआरओ के थे और बाकी 58 पद राजकीय बचत में स्टेटिकल असिस्टेंट, महिला एवं बाल कल्याण में इन्वेस्टिगेटर कम कंप्यूटर, बाट माप विभाग में इन्वेस्टिगेटर कम कंट्रोलर, असिस्टेंट मलेरिया अफसर, जूनियर ऑडिटर जैसे विशेष योग्यता वाले थे। आयोग ने विशेष योग्यता वाले 58 पदों का रिजल्ट नहीं जारी किया। पांच साल के दौरान विशेष योग्यता वाले कई पदों पर भर्ती की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पास चली गई तो कई पद विभागों में समाप्त हो गए। ऐसे ही विभिन्न कारणों से 58 पद भर्ती परीक्षा से बाहर कर दिए गए।
इसके बाद आरओ/एआरओ के 303 पद बचे, लेकिन ये पद पूरी तरह से नहीं भरे जा सके। आयोग ने आरओ/एआरओ के आठ प्रकार के 260 पदों पर अभ्यर्थियों का चयन किया, जबकि 43 पद योग्य अभ्यर्थी न मिलने के कारण खाली रह गए। प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि परीक्षा पांच साल पुरानी है और तमाम अभ्यर्थी रिजल्ट के इंतजार में ओवरएज हो गए। अब उनके पास कोई अवसर नहीं बचा है। ऐसे में आयोग को प्रतीक्षा सूची जारी कर ऐसे अभ्यर्थियों को अवसर प्रदान करना चाहिए। प्रतियोगी यह दावा भी कर रहे हैं कि बीईओ-2019 की परीक्षा में चयनित कई अभ्यर्थी अन्य परीक्षाओं के माध्यम से उच्च पदों पर चयनित हो चुके हैं। उन्होंने ज्वाइन नहीं किया है। बीईओ के भी कई पद खाली पड़े हैं, सो बीईओ के रिक्त पदों को भी प्रतीक्षा सूची से भरा जाए। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय का कहना है कि समिति काफी समय से सभी भर्ती परीक्षाओं की प्रतीक्षा सूची जारी करने की मांग कर रही है। आयोग के नए अध्यक्ष के ज्वाइन करने पर उनके समक्ष यह मुद्दा रखा जाएगा।
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